एक महान योद्धा रणछोड़ दास पागी

 

रणछोड़ दास पागी

ये जरूरी नहीं कि देश की रक्षा करने के लिए वर्दी वाला सिपाही ही बना जाए। कुछ ऐसे भी आम नागरिक होते हैं जो सेना में न होकर भी देश की रक्षा में अहम भूमिका अदा करते हैं. ऐसे ही एक नागरिक थे गुजरात के कच्छ में रहने वाले रणछोड़दास ।


रणछोड़ दास पागी  एक ऐसे सेनानी थे जो रेत पर ऊंटो के पैरों के निशान देखकर यह बता देते थे की इस रास्ते से कितने ऊंट गए हैं । रणछोड़ दास बागी का 1965 और 1971 के युद्ध में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इनका जन्म भारत के गुजरात राज्य में हुआ जबकि इनकी मृत्यु 112 वर्ष की उम्र में 2013  में हुई । रणअपछोड़ दास पागी का सर्वाधिक योगदान 1971 के युद्ध में था जिस पर फिल्म भुज का निर्माण फिल्म निर्माताओं के द्वारा किया गया है और इसमें रणछोड़ दास पागी का मुख्य भूमिका या किरदार संजय दत्त के द्वारा निभाया गया है।



1200 पाकिस्तानी सैनिकों पर भारी पड़ने वाले इस आम नागरिक को मिला यह सम्मान जैसे :

संग्राम पदक, पुलिस पदक व समर सेवा पदक

इनके प्रमुख रोचक तथ्य :


रणछोड़ दास पार्क कोई आम व्यक्ति नहीं थे उनके बारे में कहा जाता है कि वह ऊंटों के पैर देखकर यह बता देते थे क्यूट पर कितने व्यक्ति सवार थे या व्यक्तियों के या इंसानी पैरों को देखकर यह आकलन कर लेते थे की वह व्यक्ति कितना वजन होगा या उस व्यक्ति का कितना वजन होगा
2008 में फील्ड मार्शल मानेक वेलिंगटन अस्पताल तमिलनाडु में भर्ती थे। गंभीर अवस्था और मूर्छित अवस्था में बॉक्सर एक नाम पर करते थे पागी - पागी
2008 में फील्ड मार्शल मानिक वेलिंगटन अस्पताल तमिलनाडु में भर्ती थे गंभीर अवस्था और मूर्छित अवस्था मे  अक्सर  पागी पागी करते रहते थे ।
एक दिन जब डॉक्टर हैरान हो गए तो उन्होंने पूछा उनसे हु इज दिस पागी

जब तक कोई खड़ा नहीं होता , तब तक कोई बड़ा नहीं होता ।

एक ऐसा वीर जो कच्छ के रण पाकिस्तान छक्के छुड़ा दिया :


1971 का युद्ध भारत जी चुका था उसके बाद जनरल मानेक शॉ  जो ढाका में थे उन्होंने आदेश दिया कि आज का डिनर वह पागी के साथ ही करेंगे पागी को लेने हेलीकॉप्टर भेजा गया जैसे ही पागी जी को लेकर हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी उनकी एक थैली हेलीकॉप्टर में से गिर गई हेलीकॉप्टर को वापस कर के लाया गया और नियमानुसार व थैली खोलकर देखी गई लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उस थैली में दो रोटी एक प्याज और एक बेसन का पकवान घटिया था जैसे ही डिनर को पहुंचे एक रोटी सेन साहब ने खाई और दूसरी पागी ने
आज भी भारतीय सेना के लिए उनके इस अमूल्य योगदान के कारण गुजरात के पाकिस्तान बॉर्डर पर आज भी उनके नाम से एक पोस्ट(रणछोड़ दास पोस्ट) रखी गई है और वहां पर उनकी मूर्ति लगाई गई है वह इन्हीं के नाम पर है।

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